हैल्दी मैरिड लाइफ के सीक्रेट्स
आज की फास्ट लाइफ का प्रभाव जिंदगी और रिश्तों पर कुछ ऐसा पड़ा है कि पूरा माहौल ही बदल गया है। लोगों की सोच बदल गई है। सिंसियरिटी भी अब कम ही देखने को मिलती है। सब को अपनी ही पड़ी रहती है। ऐसे में क्या आश्चर्य कि शादी जैसा अहम रिश्ता भी अब स्वार्थ के आगे उतना अहम नहीं रह गया।
‘दूसरी मां’ होती है ‘बेटी’
एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, ‘‘आप क्या आशा करते हैं, लड़का होगा या लड़की?’’
इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि वो कहां है, क्योंकि बेटियाँ परी होती हैं, जो सदा बिना शर्त के प्यार और देखभाल के लिए जन्म लेती हैं। बेटियां सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं, जो घर ईश्वर को पसंद हो, वहां ही बेटी होती है।
बच्चों को सिखाएं टेबल मैनर | Children Table Manners
बच्चे वही सीखते हैं जो उन्हें सिखाया जाता है। यूं तो हर माता-पिता बच्चों को हर तरह के शिष्टाचार का पालन करना सिखाते हैं लेकिन अक्सर कुछ बेसिक चीजें हैं
Relationship: हंसते-मुस्कुराते निभाएं अपने रिश्ते
हमारे जीवन में हंसने-मुस्कुराने की क्या अहमियत है, इस बात से हम भली-भांति परिचित हैं। सोचिए, रिश्तों में भी यह बात शामिल हो, तो ये कितने खुशहाल बन जाएंगे। माहौल को सदा हल्का-फुल्का बनाये रखें। हालाँकि छोटी-मोटी नोक-झौंक से थोड़ी बहुत खट्टी-मीठी टकराहट भी कभी-कभी रिश्तों को मजबूती देने के लिए जरूरी है।
Mother in-law Relationship: गरिमा बनाए रखें सास के रिश्ते की
जब मां बेटे की शादी करती है तो वह खुशी से फूली नहीं समाती परन्तु कुछ समय बाद यह खुशी मुरझाने लगती है।
Guest: मेहमान कहीं आपकी परेशानी का कारण तो नहीं बन रहा
मेहमान को भगवान का रूप माना जाता है और उसके स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। यह बात कहने और सुनने में तो अच्छी लगती है पर क्या आज अतिथि वाकई भगवान का रूप हैं? शायद नहीं। आज अतिथि की सोच बदल गई है।
Kids about Friends: बच्चों को दोस्तों के प्रति आगाह रखें
किशोरावस्था जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। Kids about Friends इस उम्र में बच्चों में बहुत बदलाव आते हैं। बच्चों को इस उम्र में समझ...
School Children Mobile: स्कूली बच्चे हो गये मोबाइल के आदी
वह समय भी था कि मोबाइल तो कोई जानता नहीं था। फोन भी इक्का दुक्का घरों में होते थे। जरूरी बात करनी होती थी...
खास मुश्किल नहीं है अच्छा पड़ोसी बनना | good neighbor
आमतौर पर यह माना जाता है कि अच्छे पड़ोसी पाना भाग्य की बात है। आज के भौतिकवादी युग में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो अपने पड़ोसियों से नि:स्वार्थ भाव से मेल मिलाप रखना अपना फर्ज समझते हैं। महानगरों से लेकर गावों तक लोगों में आत्मकेंद्रित व एकाकी रहने की प्रवृत्ति बढ़ चली है।
रिश्तों को सुधारें , कुछ यूं मनाएं सुरक्षित दिवाली
परिवार और रिश्तेंदारों की अपेक्षा पड़ोसी ही हमारे सबसे नजदीक होते हैं। चाहने पर भी वो हमेशा हमारी मदद के लिए अक्सर नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे समय पड़ोसी ही मदद के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में पड़ोसियों से अपने रिलेशन को अच्छा बना कर रखना बहुत जरूरी होता है