Confidence is your capital

आत्मविश्वास आपकी पूंजी है | Confidence is your capital

आत्मविश्वास ऐसी भावना है जो व्यक्ति खुद के अंदर अपने ही प्रयास से उत्पन्न करता है किंतु यह बात हर व्यक्ति में नहीं होती कि वह आत्मविश्वास को उत्पन्न कर सके। उनके आत्मविश्वास को उत्पन्न करने में दूसरे लोग सहायता पहुंचा सकते हैं परन्तु आत्मविश्वास जागृत करने का प्रयास अपने आप करना चाहिए। हममें से ऐसे कई लोग हैं जो एक गुण को छिपाने के लिए अपने अनेक सुंदर गुणों को भी सामने नहीं लाते। कारण है सिर्फ आत्मविश्वास की कमी। आत्मविश्वास क्या है? यह कोई काले, गोरे रंग की भांति स्थाई ईश्वरीय देन नहीं है। इसे प्रत्येक व्यक्ति पा सकता है। आत्मविश्वासी व्यक्ति के चेहरे पर एक अलग तेज होता है। वह स्पष्टभाषी तथा खुले स्वभाव वाला होता है।

आत्म-विश्वास आप भी पा सकते हैं बशर्तें अपने को जानें और दूसरों को जानें। कुछ लोग समझते हैं कि जो लोग सुंदर होते हैं, उनमें आत्मविश्वास खुद-ब-खुद होता है। ऐसा नहीं है। जब हम लोग उन्हें एहसास करवाते हैं कि तुम सुंदर हो, तभी वे जान पाते हैं कि शायद वे सुंदर हैं और यह एहसास उन्हें एक आत्मविश्वास देता है।

सुंदरता से मिला आत्मविश्वास और अपनी सुंदरता की आड़ लेकर वे हमारे सम्मुख आते हैं जैसे

– फिल्मी कलाकार। उनकी सुंदरता का बोध ही उनमें आत्मविश्वास का संचार करता है। तभी वे हमारे सम्मुख आते हैं। यह आत्मविश्वास उन्हें दूसरों के द्वारा ही प्राप्त हुआ है।

< तन की असुंदरता को लेकर हीनता मत लाइये क्योंकि तन की सुंदरता से ज्यादा मन की सुंदरता का महत्त्व होता है। आप में ऐसा कोई गुण जरूर होगा जिसे आप महसूस करते हैं जैसे आप अच्छा गा लेते हैं, लिख लेते हैं, अच्छी बातें कर लेते हैं, या खेलने व पढ़ने में होशियार हैं। इन गुणों के बल पर भी आप अपने को दूसरे के सामने पेश करें। धीरे-धीरे आप हीनता को भूलकर आत्मविश्वास पाएंगे।

< आत्मविश्वास पाने के लिए ऐसा कार्य करना चाहिये जिसे आप समझते हैं कि आप नहीं कर सकते। याद रखें दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं जो संभव न हो।

< कभी अपने को दूसरों से कम मत समझें। अपने महत्त्व को जानें। आखिर ईश्वर ने आपको भी किसी श्रेष्ठ कार्य की पूर्ति के लिए ही जन्म दिया होगा।

< अगर कोई व्यक्ति ऐसा गुण रखता है जो आपको पसंद है और आपने उसे कहा न हो कि मुझे आपकी यह बात पसंद है तो ऐसी ही कोई बात आप में भी हो सकती है जो कोई आपसे न कहता हो।

< दूसरों के सामने उनके, गुणों को बताएं और पूरी ईमानदारी के साथ बताएं। झूठी तारीफ मत करें। इससे यदि आप किसी की खराब आदत की झूठी तारीफ करते हैं तो वह व्यक्ति इसे अपनी अच्छी आदत समझ कर तीन-चार व्यक्तियों के बीच अवश्य दोहरायेगा और हंसी का पात्र बनेगा। व्यक्ति का मन आपके प्रति श्रद्धा से भर जायेगा और जब दो व्यक्तियों के मन में आपके प्रति श्रद्धा समाप्त हो जायेगी तो आपका आत्मविश्वास टूटेगा। अत: दूसरों में आत्मविश्वास बढ़ाने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

< परिचितों को समझें और जानें। आपके बारे में क्या राय रखते हैं, इसको बिना जाने दूसरों से कतराने की कोशिश न करें।

< जिस बात का तुम्हें ज्ञान हो, उसकी चर्चा यदि चार व्यक्ति कर रहे हैं तो आप मूक दर्शक न बनें। वे अनमुति दें तो आप भी थोड़ा बोलिये जितना आपको उचित लगे।

< आप समाज में आइये तो आत्म विश्वास भी आपमें आयेगा। समाज से दूर जाने पर यह आपको नहीं मिलेगा। यह मत सोचिये रहिये कि मैं मूर्ख हूं, सारे व्यक्ति बुद्धिमान हैं।

< भगवान ने किसी को भी पूर्ण नहीं बनाया। प्रत्येक में कमी अवश्य है। जिस प्रकार गागर में सागर नहीं आता उसी प्रकार एक व्यक्ति भी समस्त गुणों को नहीं रख सकता। यदि कोई विद्वान भी है तो एक या दो विषय में ही विद्वान होगा, समस्त विषयों में नहीं।

अत: अपने को आगे लायें और आत्मविश्वास पायें।  -कामिनी कश्यप

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