Lalu's flight

बाल कथा-लालू की उड़ान
लालू बंदर को हवाई जहाज में बैठकर उड़ने का बहुत शौक था लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह टिकट कटाकर हवाई जहाज में बैठ सके।
एक दिन उसे पता चला कि उसका दोस्त मीकू खरगोश हवाई जहाज का पायलट बन गया है तो वह बहुत खुश हुआ। ‘अब मेरे मन की मुराद जरूर पूरी हो जाएगी’, यह सोच कर वह यात्रा की तैयारी करके अपने कंधे पर बैग लटकाए हवाई अड्डे पहुंच गया।

वहां एक जहाज उड़ने के लिए तैयार खड़ा था। यात्री एक-एक करके उसमें सवार हो रहे थे। तभी उसे मीकू खरगोश नजर आया जो हवाई जहाज उड़ाने के लिए अपने एक सहयोगी पायलट के साथ हवाई जहाज की तरफ जा रहा था। उसे देखते ही लालू उसका नाम पुकारते हुए तेजी से उसकी तरफ दौड़ा, ‘मीकू…..काफी दिनों बाद दिखाई दिए।
मीकू ने हैरानी से कहा, ‘कहां जा रहे हो तुम?’’
‘मैं तुम्हीं से मिलने आया था, ‘लालू बोला,

‘इस समय तो मैं हवाई जहाज लेकर जाऊंगा,’ मीकू ने अपनी कलाई घड़ी देखते हुए कहा, ‘उड़ान का समय हो गया है। ऐसा करो, तुम कल मेरे घर पर मिलो, यह रहा मेरा कार्ड,’ इतना कहकर मीकू ने उसे अपना कार्ड थमा दिया।
लालू ने कार्ड अपनी जेब से रखकर कहा, ‘यार, मुझे भी अपने साथ हवाई जहाज में ले चलो न। मैं पूरी तैयारी के साथ आया हूं।’ ‘तुम्हें जाना कहां है?’ ‘कहीं भी, मैं तो बस हवाई जहाज में बैठकर उड़ना चाहता हूं।’

‘इस समय मैं तुम्हें अपने साथ नहीं ले जा सकता,’ मीकू ने अपनी मजबूरी बताई और हवाई जहाज की तरफ बढ़ गया।
लालू निराश हो कर लौट गया। वह एक पार्क में बैठकर कुछ सोचने लगा, तभी उसे अपने एक विदेशी दोस्त साइबेरियाई सारस का ख्याल आया। उसका विदेशी दोस्त हर साल जाड़ा बिताने सैकड़ों पक्षियों के साथ भारत आता था। पास ही एक पक्षी-उद्यान था। वह कंधे पर बैग लटकाए उद्यान में पहुंच कर अपने दोस्त को खोजने लगा। शीघ्र ही उसे उसका दोस्त मिल गया।

लालू ने उससे उसका हाल चाल पूछा।
‘दोस्त, तुम कहीं जाने की तैयारी में हो क्या?’ उसके कंधे पर बैग देखकर सारस ने पूछा।
‘हां दोस्त, ‘लालू बोला, ‘मैं हवाई जहाज में बैठकर उड़ना चाहता था, लेकिन मीकू मुझे नहीं ले गया।’
‘निराश क्यों होते हो, फिर कभी चले जाना,’ सारस ने समझते हुए कहा, मीकू तुम्हें अचानक अपने साथ कैसे ले जा सकता था।

तभी लालू कुछ सोचता हुआ बोला, ‘दोस्त, क्या तुम मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर उड़ सकते हो? मुझे आसमान में उड़ने का बहुत शौक है।’ इस पर सारस ने हंस कर कहा, ‘तुमने मुझे हवाई जहाज समझ लिया है क्या? खैर, मैं तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी करूंगा, चलो, आ जाओ, सवार हो जाओ मेरी पीठ पर।’ लालू खुशी-खुशी उसकी पीठ पर सवार हो गया। ‘मेरी गर्दन पकड़ कर अच्छी तरह बैठना,’ सारस ने उसे समझाते हुए कहा, ‘देखना, कहीं गिर न जाना अगर गिर गए तो हड्डी-पसली टूट जाएगी।’

‘मैं नहीं गिरूंगा,‘लालू जोश में बोला, ‘तुम उड़ान भरो।’ सारस आसमान में उड़ान भरने लगा। पहले तो लालू को बहुत मजा आया लेकिन जब उसने नीचे देखा तो उसे बहुत डर लगने लगा। वह बुरी तरह घबराने लगा। इसी घबराहट में वह सारस की पीठ पर से नीचे गिर पड़ा। संयोग से सारस उस समय बहुत ऊंचाई पर नहीं उड़ रहा था और यह भी संयोग ही था कि वह एक बर्फीले इलाके के ऊपर उड़ रहा था।

आसमान से पलटियां खाता लालू बर्फ से भरे जमीन पर गिर पड़ा। संयोग से उसे जरा भी चोट नहीं लगी। ‘मैं कहता था न कि तुम गिर जाओगे,’ सारस नीचे उतर कर उसे हिम्मत बंधाता हुआ बोला, ‘इस बार अच्छी तरह बैठना।’ ‘नहीं, मैं नहीं बैठूंगा, मुझे बहुत डर लगता है।’ ‘अरे, बैठोगे नहीं तो क्या यहीं पड़े रहोगे,’ सारस हैरानी से बोला, ‘‘यह बर्फीला इलाका है। यहां से पैदल चलते-चलते तो तुम जम कर कुल्फी हो जाओगे।’ कुछ भी हो, मैं अब तुम्हारी पीठ पर हर्गिज नहीं बैठूंगा।‘ लालू ने साफ मना कर दिया।

‘तुम ही ने तो कहा था कि मुझे आसमान में उड़ने का बहुत शौक है।’ ‘यह मेरी भूल थी,’ वह पछताता हुआ बोला, ‘मुझे हवाईजहाज में बैठकर अपना शौक पूरा करना चाहिए था, तुम्हारी पीठ पर बैठकर नहीं।’ ‘खैर, अब यह सोचो कि इस बर्फीले इलाके से जल्दी बाहर कैसे निकलोगे,’ सारस ने चिंता प्रकट करते हुए कहा,‘यहां काफी ठंड पड़ रही है।’
सारस ने कुछ सोच कर कहा, ‘‘मैं किसी हेलीकॉप्टर को बुलाकर लाता हूं।’’ यह कहकर वह उड़ गया।

वहां ठंड इतनी जमकर पड़ रही थी कि लालू को अपना खून जमता सा लगने लगा, उसने सोचा, ‘अगर मैंने अपने आप को गरम नहीं रखा तो मैं मर जाऊंगा।’ तभी उसे अपने बैग में रखे टेपरिकार्डर का ख्याल आया। उसने गाने वाला कैसेट लगाकर चालू कर दिया और डांस करने लगा। इस तरह उसने अपना शरीर गरम रखा।

तब तक सारस एक हेलीकॉप्टर ले कर वहां पहुंच गया और लालू को बचा लिया। लालू ने अपने दोस्त सारस को धन्यवाद देते हुए कहा,‘चलो, हवाईजहाज पर न सही, हेलीकॉप्टर पर बैठने का शौक तो पूरा हो ही गया।’ -हेमंत कुमार यादव

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