पूजनीय सतगुरु जी ने खुदाई बालक स्वरूप में दर्शन दिए -सत्संगियों के अनुभव
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार रहमत
सेवादार बहन खुशजीत इन्सां पुत्री सचखण्ड वासी स. चानण सिंह गांव शाह सतनाम जी पुरा जिला सरसा से लिखती हैं कि कुल मालिक बेपरवाह शहनशाह परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार महिमा का वर्णन हम तुच्छ बुद्धि वाले जीव नहीं कर सकते और न ही उनके किए उपकारों का बदला चुका सकते हैं। मैं एक रहमत का वर्णन कर रही हूं जो सतगुरु ने मुझ पर की।
सन् 1977 की बात है। एक रात जब मैं नाम का सुमिरन करके सोई तो मुझे स्वप्न में परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के दर्शन हुए। मैं दर्शन करके धन्य हो गई। मुझे इतनी खुशी हुई कि जिसका वर्णन नहीं हो सकता उसी प्रकाश में मुझे बालक स्वरूप चेहरा दिखाई देने लगा। उस बालक स्वरूप बॉडी में से प्रकाश के झरने फूट रहे थे। मेरी रूह उस सुन्दर बालक स्वरूप की तरफ इस कद्र खींची गई कि मेरी देखने की तड़प उतनी ही बढ़ती गई।
मेरे दिल में था कि मैं देखती ही रहूं, मेरी रूह एक टक देख रही थी। उस खुदाई बालक स्वरूप के दर्शन करके मेरा जी नहीं भर रहा था। कभी परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के दर्शन होते तो कभी उस मालिक स्वरूप अजनबी बालक के। उस मालिक स्वरूप बालक को देखने की रूह को इतनी खींच तथा कशिश थी कि जिसका ब्यान ही नहीं किया जा सकता।
कुछ दिनों के उपरान्त फिर दोबारा उसी खुदाई बालक स्वरूप के दर्शन हुए। मेरी रूह सोचने के लिए मजबूर हो गई कि यह ऐसी नूरी बॉडी वाले खुदाई जोत बालक कौन हैं? कभी-कभी परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के साथ उस खुदाई जोत बालक के दर्शन इस तरह कभी दो महीने तो कभी छ:महीने बाद होते रहते। परन्तु मेरे मन में यह जिज्ञासा बनी रही कि यह खुदाई रूप बालक कौन है, जिनके मुझे बार-बार दर्शन हो रहे हैं। कई बार दिल में ख्याल आया कि ये खुदाई रूप बालक मेरे सतगुरु परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का बचपन का स्वरूप होगा। परन्तु यह बुझारत बनी रही कि ये कौन हैं?
इस सारे खेल की समझ मुझे 23 सितम्बर 1990 को आई, जब कुल मालिक परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने कुल मालिक हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को डेरा सच्चा सौदा में अपना जानशीन नियुक्त करके प्रकट कर दिया। उस समय खुदाई स्वरूप बालक के परम पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूप में दर्शन करके मेरे सारे सवालों का जवाब मुझे मिल गया जो कई वर्षोें से बुझारत बने हुए थे।
सतगुरु ने मुझ नाचीज पर इतनी रहमत की कि मुझे अपने बाल स्वरूप में दर्शन देकर निहाल कर दिया और दिखा दिया कि हम (परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज) हैं और हमारा ये स्वरूप (परम पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) आगे आने वाला है। सेवादार बहन शमां इन्सां पुत्री सचखण्ड वासी श्री वजीर चंद गांव शाह सतनाम जी पुरा ने भी मुझे बताया था कि दीदी, ऐसे ऐसे किसी अजनबी बाल स्वरूप में मुझे खुदाई स्वरूप के दर्शन हो रहे हैं, तो मैंने कहा था कि हम दयालु दातार के चोजों को नहीं समझ सकते।
मालिक सतगुरु अपनी रहमत करके ही हमें यह सब कुछ समझा सकते हैं। समय आने पर ही सतगुरु अपने जीवों को सब कुछ समझा देते हैं। मालिक सतगुरु ने जो मुझ पर इतनी रहमत की कि मेरे पास शब्द नहीं कि मैं उनका धन्यवाद कर सकूं। सतगुरु के उपकारों का बदला मैं कैसे भी नहीं चुका सकती बस उनका शुक्राना ही कर सकती हूं। मेरी परम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के स्वरूप हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के चरणों में यही अरदास है कि आप जी की रहमत से सेवा सुमिरन करती रहूं और सेवा सुमिरन करते करते ही मेरी ओड़ निभा देना जी।