हर दिन पौने तीन हजार जिंदगी निगल रहा तंबाकू

तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई)
हर दिन पौने तीन हजार जिंदगी निगल रहा तंबाकू

दुनियाभर में हर साल 70 लाख लोग और भारत में हर दिन करीब 2739 लोग धूम्रपान व अन्य तम्बाकू उत्पादों के कारण कैंसर व अन्य बीमारियों से दम तोड़ देते हैं।

हाय रे! मेरा दांत, मेरी झाड़ में इतना दर्द क्यों हो रहा है! अब मुझसे और दर्द सहन नहीं होता। ऐसी स्थिति से बहुतेरे लोग गुजरे होंगे। इसी दौरान एक सलाह भी मुफ्त में मिली होगी, कि थोड़ा तंबाकू दांत या जाड़ के साइड में लगा लो तुरंत दर्द गायब हो जाएगा।

हालांकि ऐसा करने पर एक बार दर्द से थोड़ी राहत मिल जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि थोड़े समय के लिए दर्द कम करने वाला यह देशी नुस्खा आपको जिंदगीभर का दर्द भी दे सकता है। जी हां, दर्द से छुटकारे के लिए ऐसी शुरूआत
बाद में इन्सान को तंबाकू का आदी बना देती है।

चिकित्सा रिसर्च में हैरानीजनक तथ्य सामने आए हैं कि तंबाकू का लंबे समय तक सेवन कैंसर को निमंत्रण दे देता है। आंकडेÞ बताते हैं कि दुनियाभर में हर साल 70 लाख लोग और भारत में हर दिन करीब 2739 लोग धूम्रपान व अन्य तम्बाकू उत्पादों के कारण कैंसर व अन्य बीमारियों से दम तोड़ देते हैं।

31 मई को दुनिया भर में तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है और तंबाकू से दूर रहने की नसीहतें दी जाती है, क्योंकि तंबाकू बीमारियों की जड़ है।

‘ग्लोबल अडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण’ ने दो वर्ष पूर्व खुलासा किया था कि भारत में धुआं रहित तंबाकू का सेवन धूम्रपान से कहीं अधिक है। सर्वेक्षण के अनुसार, 42.4 फीसदी पुरुष, 14.2 फीसदी महिलाएं और सभी वयस्कों में 28.8 फीसदी धूम्रपान करते हैं या फिर धुआं रहित तम्बाकू का उपयोग करते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक 19 फीसदी पुरुष, 2 फीसदी महिलाएं और 10.7 फीसदी वयस्क धूम्रपान करते हैं, जबकि 29.6 फीसदी पुरुष, 12.8 फीसदी महिलाएं और 21.4 फीसदी वयस्क धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं।

वॉयस आॅफ टोबैको विक्टिम्स के पेट्रन व कैंसर सर्जन डॉ. टी.पी. साहू का कहना है कि ‘दुनिया में कार्डियोवस्क्युलर से होने वाली मौत और अक्षमता की रोकथाम के लिए तंबाकू पर रोक सबसे जरूरी है। धूम्रपान से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। साथ ही तंबाकू का धुआं रहित रूप भी समान रूप से हानिकारक है।

धुआं रहित तंबाकू का सेवन धूम्रपान से अधिक हानिकारक कंपकंपाते हाथ, दुबला-पतला शरीर मानो हड्डियों का ढांचा हो, घ्घ्घ-घ्घ्घ कर चलती सांसें बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। धांय-धांय की मर्म स्पर्शी आवाजें हृदय की वेदना को और बढ़ा देती हैं।

तम्बाकू का सेवन शरीर के हर हिस्से पर हानिकारक प्रभाव डालता है। धुआं रहित तंबाकू प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में भी इसी तरह के दुष्प्रभाव का कारण बनता है। हमारे शरीर के अंगों को सीधे नुकसान पहुंचाने के अलावा, धुआं रहित तम्बाकू का सेवन करने से दिल के दौरे से मरने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

सभी रोगों में लगभग 10 फीसदी का कारण तम्बाकू का उपयोग ही है। एक गैर सरकारी संस्था फाउन्डेशन फॉर स्मोक फ्री वर्ल्ड ने खुलासा किया था कि देश में धूम्रपान करने वाले प्रत्येक 10 में से 7 लोग धूम्रपान को सेहत के लिए खतरा मानते हैं और 53 फीसदी लोग धूम्रपान छोड़ने की कोशिशों में नाकाम साबित हुए हैं।

संस्था ने यह भी बताया कि धूम्रपान करने वालों को ऐसे विकल्प और तरीके उपलब्ध कराने होंगे, ताकि वे लम्बा और सेहतमंद जीवन जी सकें। अनुमान है कि अकेले भारत में 10.4 करोड़ से अधिक लोग तंबाकू के सेवन से अपनी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

स्मोकिंग छोड़ दीजिए, होंगे खूब फायदे
स्मोकिंग से होने वाले नुकसान के बारे में सभी जानते हैं। इसके बावजूद लोग स्मोकिंग की लत को अपनी शान का सवाल बनाए रखते हैं। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारतीय धूम्रपान करने में सबसे आगे हैं और एक व्यक्ति एक दिन में लगभग 8 सिगरेट पी जाता हैं। सिगरेट के धुएं में 200 प्रकार के नुकसानदेह तत्व होते हैं। अगर स्मोकिंग की लत छोड़ दी जाए तो इंसान का शरीर वापस स्वस्थ भी हो सकता है।

बीपी होगा सामान्य:

स्मोकिंग करने वालों का ब्लड प्रेशर हमेशा हाई रहता है। सिगरेट पीने के 20 मिनट बाद शरीर का रक्तचाप और दिल की धड़कन सामान्य हो जाते हैं। सिगरेट पीते समय निकोटीन के कारण ये दोनों ही बढ़ जाते हैं। यदि समय रहते स्मोकिंग की आदत को बदल लिया जाए तो बीपी की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है।

नहीं होगी हार्ट की समस्या :

सिगरेट छोड़ चुके व्यक्ति में एक साल के अंदर हार्ट अटैक का खतरा 50 फीसदी घट जाता है। दस साल बाद फेफड़े के कैंसर का खतरा सिगरेट पीने वाले के मुकाबले आधा रह जाता है। इसलिए अपनी इस बुरी आदत को तुरंत बदल डालिये।

बढ़ता है दिमाग :

2-3 दिनों तक स्मोकिंग नहीं करने से शरीर से अपने आप ही निकोटीन की मात्रा कम होने लगती है। ऐसे में दिमाग भी सही तरह से काम करता है।

बढ़ती है आॅक्सीजन :

सिगरेट छोड़ने के 12 घंटे बाद शरीर में कार्बन मोनो आॅक्साइड का स्तर घटता है और तब जाकर आॅक्सीजन अपने सही स्तर पर लौटता है। कार्बन मोनो आॅक्साइड स्मोकिंग से शरीर को मिलने वाली ऐसी चीज है, जिससे शरीर में आॅक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है।

नशों के खिलाफ अलख जगा रहा है डेरा सच्चा सौदा

डेरा सच्चा सौदा हमेशा से ही नशे के विरोध में आमजन को जागरूक करता रहा है। चाहे वह तंबाकू जनित पदार्थ जैसे गुटका, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट ही क्यों न हों। लोगों में जागृति लाने के लिए डेरा सच्चा सौदा ने समय-समय पर जागरूकता रैलियां निकाली हैं।

यहां की यूथ वीरांगनाओं ने देशभर में गली-गली, द्वार-द्वार जाकर लोगों को इन नशों से होने वाली बीमारियों के प्रति भी जागरूक किया है। डेरा सच्चा सौदा ने अपनी स्थापना से लेकर आजतक शराब, मांसाहार के प्रयोग का पुरजोर खंडन किया है।

पूज्य सार्इं मस्ताना जी महाराज और पूज्य परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने समाज में व्याप्त नशे रूपी बुराई का डट का विरोध किया। सत्संगों में आने वाली साध-संगत को इन नशों से बचने का संदेश देते। लाखों की संख्या में संगत ने अनमोल वचनों को सत् कर माना और नशों से तौबा कर अपने जीवन को संवार लिया।

सन् 1990 के बाद पूज्य गुरू संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने डेरा सच्चा सौदा की पावन गुरगद्दी पर विराजमान होने के बाद तो जैसे समाज में बदलाव की एक बयार सी ला दी थी।

लाखों की संख्या में सत्ंसग में उमड़ने वाली संगत पूज्य गुरूजी के एक आह्वान पर अपनी जेबों से तंबाकू, बीड़ी इत्यादि नशीले पदार्थों को झट से निकाल कर ढेÞर लगा देती थी, और भविष्य में ऐसे नशीले पदार्थों से हमेशा के लिए परहेज करने का प्रण ले लेती थी।

पूज्य गुरू जी ने भारत वर्ष में ऐसे अभियान चलाकर लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक किया। उनको नशीले पदार्थांे से होने वाली भयंकर बीमारियों के बारे में बताया कि ये नशे आपकी जिंदगी को नर्क बना सकते हैं।

पूज्य गुरू जी ने हमेशा ही स्वच्छ समाज की परिकल्पना को साकार रूप देने का प्रयास किया है। यही वजह है कि आज डेरा सच्चा सौदा से जुड़े करोड़ों लोग मास-मदिरा ही नहीं, नशे के रूप में प्रयुक्त होने वाले तंबाकू जनित पदार्थांे से भी कोसों दूर हैं और खुशहाल जीवन जी रहे हैं।

पैसिव स्मोकिंग भी है खतरनाक:

घर और सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट व बीड़ी का धुआं दूसरों को पिलाने यानी पैसिव स्मोकिंग के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि कई प्रदेशों में सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट या बीड़ी पीने पर प्रतिबंध है, नियम उल्लंघना पर जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है, लेकिन लोग सिगरेट के धुएं की भांति ही नियमों की भी धज्जियां उड़ाते रहते हैं।

पैसिव स्मोकिंग से हृदय प्रभावित होता है और धूम्रपान नहीं करने वालों में भी धूम्रपान से संबंधित रोग होने का खतरा रहता है। कार्यस्थल और सार्वजनिक जगहों को धूम्रपान निषेध क्षेत्र बनाने की नीतियों को प्रभावकारी तरीके से लागू करना कारगर उपाय होगा और इससे धूम्रपान नहीं करने वालों को बचाया जा सकता है।

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