निंदकों से सदा बचकर रहो

निंदकों से सदा बचकर रहो

पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान को सुमिरन के लिए टाईम-पीरियड फिक्स करना चाहिए। आमतौर पर लोग बड़ी जल्दबाजी करते हैं कि पांच-सात दिन सुमिरन करुंगा और मुझे ये मिल जाए, वो मिल जाए। जबकि आप यह सोचें कि मैंने ताउम्र सुमिरन करना है, तो मालिक आपकी जायज मांग सुनते भी रहेंगे और पूरी भी करते रहेंगे।

आप जी फरमाते हैं कि इन्सान को हमेशा अपने दिल में ये श्रद्धा-भावना बैठा कर रखनी चाहिए कि मालिक का रहमो-कर्म तो बरसेगा ही बरसेगा। आप जी फरमाते हैं कि इन्सान निंदा-चुगली, बुराइयों व झूठ-फरेब से जितना बच सकें, उतना ही अच्छा है।

बेपरवाह सच्चे दाता-रहबर (परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज व बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज) फरमाया करते कि निंदक की तो परछाई भी बुरी होती है, और लोग अपनी बुराइयां छुपाने के लिए ही दूसरों की निंदा करते हैं।

इस पर आप जी फरमाते हैं कि अकबर-बीरबल के समय में एक बार किसी दरबारी ने कोई सामान चुरा लिया। बीरबल ने लोगों को इकट्ठा किया और बादशाह से कहा कि मुझे पता चल गया है कि चोर कौन है। बादशाह ने पूछा कि बताओ कौन है? तो बीरबल ने कहा कि बादशाह!

आप निगाह मारो, चोर की दाढ़ी में तिनका है। इतने कहते ही जो चोर था, वो पहले ही अपनी दाढ़ी में हाथ मारकर देखने लगा कि कहीं मेरी दाढ़ी में तिनका तो नहीं लगा। बीरबल ने कहा कि ये रहा चोर। कहने का मतलब है कि जो निंदा-चुगली करते हैं, असल में वो खोखले होते हैं। वो अपने तिनके छुपाने के लिए दूसरों पर तिनकों की बौछार करते रहते हैं।

इसलिए ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए। जो भी निंदा करता है, बुराई गाता है, उससे जितना कन्नी कतरा कर रहोगे, उतने की सुखी रहोगे। आप जी फरमाते हैं कि आज घोर कलियुग का समय है। अपने मुंह से खुद अपनी बुराइयां, अपनी कमियां कोई नहीं गाता और जो लोग बुराई करने वालों के पीछे लगते हैं, उनका भी बुरा हाल होता है।

इसलिए इन्सान को अपने गिरहेबान में निगाह मारनी चाहिए और अपने अंत:करण में जो कमियां नजर आती हैं, उन्हें राम-नाम के सुमिरन, परमार्थ के द्वारा निकाल डालो, तो यकीनन मालिक की दया-रहमत आप पर मूसलाधार बरसेगी ही बरसेगी।

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