The happiness that you get from the letter is immense.

सतगुुर का प्यार जब रूहों पर बरसता है तो रूहें गद्गद् हो जाती हैं। उनकी खुशी आसमानों तक ठहाके लगाने लग जाती है।

जिसका कोई परावार नहीं होता। सतगुर अपनी व्याकुल रूहों पर किसी न किसी बहाने अपना प्यार बरसाते रहते हैं। किसी भी जरिये से रूह को खुशी नसीब होती है तो उसका रोम-रोम ऋणी हो जाता है।

आज के इस घोर कलयुग में वो रूहें धन्य हैं जो अपने सतगुर संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का रूहानी प्यार पा रही हैं। उनके अलौकिक प्यार में सराबोर हो रही हैं। बेशक कदमों से दूरी है लेकिन ख्यालों में, ख्वाबों में, अरमानों से सतगुर सांसों से भी नजदीक रहते हैं और सतगुर के लिए ऐसी रूहें अव्वल दर्जे वाली होती हैं जो उसका प्यार पाने की ललक में ही रहती हैं।

ऐसी रूहों के लिए सतगुर भी उसी प्रकार अपनी तवज्जों, अपना रहम-ए-कर्म रखते हैं जैसे कूंज सौ मील दूर होते हुए भी अपना पूरा ध्यान अपने बच्चों में रखती है। यह तो एक छोटा-सा उदाहरण है। सतगुर अपने शिष्य के लिए जो करता है, वो कोई और कर ही नहीं सकता। पूज्य गुरु संत डा. एमएसजी का प्यार पा के हर रूह धन्य हो गई है।

प्यारे सतगुर जी ने अपनी रूहों पर एक चिट्ठी के जरीये खुशियों की बरसात की है। चिट्ठी के जरीये ऐसा प्यार बरसा कि हर रूह मस्त हो गई। सतगुर जी ने यह चिट्ठी सात मई को लिखी जो 13 मई को वायरल हुई। हाथों-हाथ इस चिट्ठी का डिजीटल रूप देश-दूनिया में वायरल हो गया। कुछ ही देर में देश-विदेश में बसी समूह साध-संगत ही नहीं,बल्कि हर किसी के पास यह चिट्ठी पहुंच गई। संगत की खुशी का ठिकाना ना रहा।

हर कोई सतगुर जी के चरणों में अर्पित हो गया। हर कोई अपने दातार का लाख-लाख शुक्राना करने लगा। वाह मेरे मौला! एक चिट्ठी के जरीये आप ने हमारी खैर-खबर जानी। हमें अपना आशीर्वाद बख्शिश किया। वाह! मेरे सतगुर आप का अहसान कभी चुकाया नहीं जा सकता। आपजी ने जो इस कोरोना महामारी से बचाने के लिए हमें एक अनमोल नुस्खा दिया। इस महामारी में आप से बढ़कर हमारे लिए कोई और मददगार नहीं है। हमारा कोई रक्षक नहीं है। आप ने हमारा फिक्र किया और हमें इस भयानक महामारी से बचने का नुक्ता देकर एक बहुत बड़ा अहसान किया है। हे सतगुर तेरा शुक्र है! तेरा शुक्र है।

पूज्य गुरु जी की इस चिट्ठी ने साध-संगत को अलौकिक प्यार से लबरेज कर दिया। प्यार से लबरेज हर कोई इस चिट्ठी को अपनों तक भेजने को उतावला हो गया। प्यार भरी यह चिट्ठी चर्चा का विषय बन गई। साध-संगत में तो खुशी की लहर दौड़ गई वहीं दूसरो के लिए भी यह हैरान कर देने वाला था।

समूह साध-संगत अपने सतगुर जी के प्रति आभार व्यक्त कर रही थी, जबकि अन्य इस सोच में थे कि आखिर चिट्ठी में लिखा क्या होगा। अर्थात् जिसने भी इस चिट्ठी बारे जाना-इसे देखे बिना, इसे पढ़े बिना ना रहा। चिट्ठी की चर्चा का ही परिणाम था कि कई प्रमुख अखबारों ने भी अपनी सुर्खी बनाकर पेश किया। अखबारों की सुर्खियां बटोर कर यह चिट्ठी आकर्षण का केन्द्र बन गई। सच कहूँ न्यूज पेपर ने मेन पृष्ठ पर चिट्टी को प्रकाशित किया जो साध-संगत के लिए एक अनमोल तोहफा साबित हुई।

लोगों ने इसे इतना चाहा कि शीशे के फ्रेम में पूरे का पूरा पृष्ठ ही सजा कर एक निशानी के तौर पर संजो कर रख लिया। इस पृष्ठ के साथ सेल्फियां ली गई। अपनी-अपनी भावना के साथ हर किसी ने चिट्ठी को प्यार-सत्कार दिया।
चिट्ठी का मजमून जिसने भी पढ़ा, बार-बार पढ़ता गया। चिट्ठी का प्रत्येक शब्द सरूर से भर देने वाला है। चिट्ठी के द्वारा जिंदगी जीने की बहुत बड़ी बात कम शब्दों में लिख कर समझाई गई है।

इसके सम्बोधन में पूज्य गुरु जी ने अपने पूजनीय माता जी को सम्बोधित करते हुए सेहत संबंधी परामर्श दिया है। समूह साध-संगत को भी स्वास्थ्य संबंधी हिदायतें दी हैं। कोरोना महामारी से बचने का जो देसी नुस्खा बताया है, यह सेहत के लिए वरदान है। और यह जरूरी नहीं कि यह केवल साध-संगत के लिए ही है। इसे कोई भी ले सकता है। क्योंकि संत-महात्मा सर्व-कल्याण की सांझी बात करते हैं। उनके लिए सब बराबर हैं।

ये बात अलग है कि संतों के वचनों को जो श्रद्धा-विश्वास के साथ मानता है, उस पर उनका जादुई असर होता है। उनके दु:ख सहजता से ही दूर हो जाते हैं। मानव कल्याण के लिए ही कोरोना से बचने का नुस्खा बताया गया है। इसके साथ ही कोरोना काल में साध-संगत को घर ही रहने व शब्दाक्षरी खेलने के अनमोल वचन किए गए हैं। सबको समाज सेवा के लिए बढ़-चढ़ सहयोग करने का लिखा गया है और ब्लड डोनेशन का विशेष तौर पर जिक्र किया है।

सबको प्रशासन व सरकार के द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों के तहत चलने का समझाया गया है। इसी के साथ निंदा-चुगली से बचने के लिए वचन किए हैं। और इसका स्पैशल फरमाया गया है कि निंदा-चुगली व मनमते लोगों से बचकर चलना है। सबसे नि:स्वार्थ भाव से प्रेम करने का वचन दोहराया गया है। इसे जोर देकर कहा गया है कि जब हमने सबको प्रेम-प्यार, नाम-सुमिरन की शिक्षा दी है। बुरे कर्मों से रोका है। इसलिए इन हिदायतों को ध्यान में रखना है।

आश्रम के जिम्मेवारों को आश्रम की सार-संभाल के साथ ही सेवादारों के लिए भी वचन फरमाए हैं कि सेवा के लिए किसी को कोई परेशानी ना आए। पूज्य गुरु जी ने अपनी चिट्ठी का समापन्न एक श्लोक के द्वारा करके सारांश में ही सब कुछ मुक्कमल कर दिया है। इस श्लोक में अपने अनमोल वचनों को पूज्य गुरु जी ने इस प्रकार पिरोया है। ‘नाम जपो, प्रेम करो, करो मानवता की सेवा। इन वचनों पर अमल करें तो सतगुरु देगा दो जहां का मेवा।।’

बेशक दुनियावी नजरिए से यह एक चिट्ठी है। आम लोग इसे चिट्ठी की संज्ञा दे सकते हैं मगर एक शिष्य, एक श्रद्धालु के लिए यह सतगुरू का पाक-पवित्र संदेश है। सतगुर के द्वारा अपने मुरीदों, अपनी रूहों को लिखा गया पैगाम एक पवित्र धर्म ग्रंथ से कम नहीं है। शिष्यों के लिए यह चिट्ठी नहीं, अपितु एक सत्संग है जिसमें उन्हें अपने रहनुमा से रूहानी संदेश मिला है। अपने रहबर से मानो साक्षात्कार हो गया है।

सतगुर का यह पाक पैगाम रूहों को निहाल कर गया है। रूहानी प्यार का समंदर उछलने लगा है। चिट्ठी के आने से जैसे रूहों को अपने रहबर के आने की आहट मिल गई हो। उनकी बेकरारियां बढ़ गई हैं। जैसे किसी के आने का बहुत लम्बा इंतजार खत्म होने से पूर्व जो खुशी होती है वह बयां नहीं की जा सकती। इंतजार की बेकरारियां लासानी हो जाती हैं। अपने सतगुर प्यारे की चिट्ठी से रूहों का प्यार उनका वैराग्य लाब्यां हो गया है।

अपने सतगुर के इस पैगाम का सरूर हर किसी पर ठाठें मार रहा है। उनके हाल इससे जयादा क्या बताएं कि हर कोई अपना सब कुछ भूल कर इस कशमकश में, इस खुशी में है कि वो चिट्ठी को कैसे सजा कर रखे, कैसे संभाल कर रखे। सतगुर की यह चिट्ठी जिंदगी की शान बन गई है।

The happiness that you get from the letter is immense.

पूज्य गुरु जी द्वारा लिखी गई चिट्ठी का पूरा मजमून इस प्रकार है-

आदरणीय माता जी व प्यारे बच्चो व ट्रस्ट/मैनेजमेंट

धन धन सतगुरू तेरा ही आसरा
सतगुरु राम की कृपा से मैं यहां पर ठीक हूँ व आपकी तन्दुरुस्ती के लिए प्रभु से सुबह शाम प्रार्थना करता रहता हूँ। माता जी, आप अपनी दवाई सही समय पर जरूर ले लिया करें। समय-2 पर डॉक्टर से चैकअप भी जरूर करवाते रहें। सतगुरु ने चाहा तो मैं जल्दी आकर आप (माता जी) का पूरा ईलाज करवाऊंगा।

माता जी, बच्चों व प्यारी साध-संगत जी, आप सबको पता ही है कि कोरोना महाबिमारी चल रही है, इससे प्रभु सबको बचाएं। इसके लिए मैं प्रभु से सुबह-शाम प्रार्थना करता रहता हूँ। सरकार जो भी निर्देश दे, आप सबने उसे पूरा-2 मानना है और पूरा-2 सहयोग देना है।

इस बिमारी से बचने के लिए मैं आपको कुछ सुझाव दे रहा हूँ:

(1) सुबह-शाम कम से कम 15-15 मिनट प्राणायाम के साथ मालिक का नाम जरूर जपा करें।
(2) साबुन से दोनों हाथों पर झाग बनाके, एक-दूसरी हथेली पर ‘खाज’ करें ताकि नाखुन पूरी तरह साफ हो जाए।
(3) घरेलु प्रोटीन जैसे चने, सोयाबीन, पनीर, दही, दूध, छाछ, दालें, पिस्ता इत्यादि व विटामीन सी जैसे नींबू, सँतरा, किन्नू, मौसमी, आँवला इत्यादि जरूर लें।
(4) तुलसी, नीम, चार-चार पत्ते, गिलोय (टहनी व पत्ते) 10 ग्राम, लौंग-इलाईची 2-2, हल्दी, मुलठी, अजवायन, सौंठ, सब एक-एक चुटकी, जीरा 5 ग्राम। 300 ग्राम पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक 150 ग्राम ना रह जाए। अब इसे चाय की तरह धीरे-2 पीए। दिन में एक बार। 20 ग्राम गुड़ या शहद डाल सकते हैं। (काढ़े की 50 मिली. मात्रा सप्ताह में एक बार जरूर लें या सप्ताह में दो-तीन बार भी लिया जा सकता है।)

साध-संगत अपने-2 घरों में रह कर शब्दाक्षरी, राम नाम के जाप का ठी३ पर कम्पीटीशन करते रहें। अपने-2 इलाके के ऊउ व राज्य के उ.ट से परमीशन लेकर तन, मन व धन से सृष्टि की पूरी सेवा करें, पर अपना खुद का भी पूरा-2 ख्याल रखें जी।

डेरा सच्चा सौदा के ट्रस्ट के जिम्मेवार, एडम ब्लॉक, डेरे में रह रहे सेवादार भाई-बहिन खूब सेवा कर रहे हैं। सारे सेवादार व साध-संगत भी खूब सेवा कर रही है। ट्रस्ट जिम्मेवार व एडम ब्लॉक वाले ये ध्यान रखें कि सेवादारों को सेवा में कोई परेशानी ना आए। कोई भक्त किसी की भी निंदा ना करे, कोई बुरा कर्म ना करे। हमने सबको सेवा, सुमिरन करना सिखाया है, सबसे बेगर्ज प्रेम करना सिखाया है व निंदा, चुगली व मनमते बुरे कर्मों से रोका है।

अगर सरकार की तरफ से ब्लड डोनेट की मांग आए तो ट्रस्ट जिम्मेदार व एडम वाले व सारे सेवादार मिलकर इस पुन्य कार्य को जरूर करें।
ट्रस्ट जिम्मेवार व एडम ब्लाक, सेवादार सब आश्रमों की सार संभाल समय-समय पर करते रहें। ‘‘नाम जपो, प्रेम करो, करो मानवता की सेवा। इन वचनों पर अमल करें तो सतगुरु देगा दो जहाँ का मेवा।।’’ सारी साध-संगत, माता जी व बच्चों को बहुत-2 आशीर्वाद।

आपका दासन दास
संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां

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