Misinformation about electric cars - Sachi Shiksha

पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों Electric Car को अपनाने वालों की तादाद बढ़ी है। वाहन निर्माता कंपनियां भी अब हर साल नई इलेक्ट्रिक कारों को लांच कर रही हैं। वहीं कई कंपनियों ने अगले 10-15 साल बाद केवल इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करने की घोषणा कर दी है। इलेक्ट्रिक कारें परिवहन का साफ सुथरा विकल्प हैं और भविष्य का परिवहन इन्हीं पर टिका है। हालांकि, इसके बावजूद इलेक्ट्रिक कारों के प्रति जागरूकता का अभाव इन्हें अपनाने में बाधा बन रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिक कारें देश के आम नागरिकों की पहुंच से काफी दूर हैं, क्योंकि लोगों के मन में इलेक्ट्रिक कारों को लेकर कई सवाल हैं और इसी के कारण वह इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने से कतराते हैं। आज हम बात करने वाले हैं इलेक्ट्रिक कारों से जुड़ी कुछ गलतफहमियों के बारे में जिसकी वजह से लोग इनसे दूरी बनाते हैं।

लंबे सफर के लिए इलेक्ट्रिक कार हैं फेल? Electric Car

कई लोग सोचते हैं कि इलेक्ट्रिक कार को एक शहर से दूसरे शहर या शहर के बाहर ले जाना मुमकिन नहीं है। यह बात सही नहीं है। मौजूदा समय में कई ऐसी इलेक्ट्रिक कारें उपलब्ध हैं जो एक बार चार्ज करने पर 300 किलोमीटर या उससे अधिक की रेंज भी देती हैं। कई ऐसी कारें भी है जो र्इंधन और बैटरी दोनों पर एक साथ चल सकती है। इन कारों में रेंज की समस्या नहीं होती है और एक बार चार्ज करने पर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं। बता दें कि एमजी की जेडस इलेक्ट्रिक एसयूवी की रेंज 340 किलोमीटर से अधिक है। वहीं प्रवेग एक्सटिंक्शन इलेक्ट्रिक कार की रेंज 500 किलोमीटर से भी अधिक है।

इलेक्ट्रिक कारों में स्पीड नहीं होती: Electric Car

आमतौर पर माना जाता है कि इलेक्ट्रिक कारों की स्पीड कम होती हैं और हाईवे पर चलाने के लिए नहीं बनी होती। बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बात करें देश की सबसे किफायती इलेक्ट्रिक कार टाटा नेक्सन ईवी की तो यह कार 0-100 किलोमीटर की रफ्तार केवल नौ सैकिंड में पकड़ सकती है। वहीं इसकी टॉप स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा है जो हाईवे या एक्सप्रेसवे के लिए काफी है। एमजी जेडएस ईवी 0-100 किलोमीटर की रफ्तार 8.5 सेकंड में हासिल कर लेती है। इलेक्ट्रिक पॉवर के मामले में भी इलेक्ट्रिक कारें र्इंधन पर चलने वाली कारों से कहीं आगे हैं।

चार्जिंग में लगता है ज्यादा समय:

यह बात सही है कि इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने में अधिक समय लगता है। इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने में 6-10 घंटों का समय लगता है। हालांकि, फास्ट चार्जर की मदद से कारों को 60 मिनट से भी कम समय में चार्ज किया जाने लगा है। टाटा मोटर्स, हुंडई और एमजी जैसी कंपनियां देश में तेजी के साथ चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण कर रही हैं। इन स्टेशनों पर कार को फास्ट चार्ज करने का भी विकल्प मिलता है। कंपनियों ने ग्राहकों के घर में भी फास्ट चार्जर लगाना शुरू कर दिया है।

इलेक्ट्रिक कारें होती हैं महंगी: Electric Car

फिलहाल देश में अधिकतर इलेक्ट्रिक कारें आम भारतीय की पहुंच से बाहर है। यह बिल्कुल सच है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां बहुत महंगी है, क्योंकि इस पर सभी कंपनियां अपनी प्लांनिंग के तहत काम कर रही हैं। भारत में इलेक्ट्रिक कारों का चलन कुछ ही वर्षों पहले आया है। कम बिक्री और ज्यादा इनपुट लागत के वजह से ये महंगी है। हालांकि, कुछ कारें ऐसी भी हैं जो एक सामान्य पेट्रोल या डीजल कार के दाम में उपलब्ध है।

टाटा नेक्सन इलेक्ट्रिक इसका सबसे बेहतर उदाहरण है। यह कार भारत में 13-16 लाख रुपये की कीमत पर उपलब्ध है। इस कार की कीमत एक कॉम्पैक्ट एसयूवी के जितनी है जो काफी अफोर्डेबल है। इलेक्ट्रिक कारों को चलाने का खर्च भी कम आता है। इन कारों में ज्यादा मकेनिकल पार्ट्स नहीं होते हैं इसलिए इनके मेंटेनेंस में भी काफी कम खर्च आता है।

बैटरी को बदलने की परेशानी:

इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने को लेकर जितनी बातें होती हैं उतनी ही बातें इसकी बैटरी से जुड़ी समस्याओं को लेकर भी होती हैं। सामान्य तौर पर एक कार को पूरी लाइफ में 1.5-2 लाख किलोमीटर तक चलाया जा सकता है। जिसके बाद कारों की परफॉर्मेंस और कंडीशन कम होने लगती है।

एक इलेक्ट्रिक कार 2.50 लाख किलोमीटर तक चलने के बावजूद इसकी बैटरी 90 प्रतिशत तक ठीक रहती है। आंकड़ों के मुताबिक 10 साल तक इलेक्ट्रिक कार को चलाने का खर्च एक पेट्रोल वाली कार से 40 प्रतिशत तक कम होता है। आजकल बैटरी की समस्या को खत्म करने के लिए 8 साल या 1.50 लाख किलोमीटर तक की वारंटी दी जा रही है।

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