पर्यावरण संरक्षण ही हमारी असल पूंजी
हमारे स्वास्थ्य, हमारे परिवार, हमारी आजीविका और हमारी धरती को एक साथ संरक्षित करने का समय आ गया है। लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील एवं पृथ्वी के संरक्षण के लिये जागरूक करना है। हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रति उपेक्षा का ही परिणाम है कि हमारे द्वारा कहीं फैक्ट्रियों का गन्दा जल हमारे पीने के पानी में मिलाया जा रहा है तो कहीं गाड़ियों से निकलता धुआं हमारे जीवन में जहर घोल रहा है और घूम फिर कर यह हमारी पृथ्वी को दूषित बनाता है। जिस पृथ्वी को हम माँ का दर्जा देते हैं उसे हम खुद अपने ही हाथों दूषित करने में कैसे लगे रहते हैं? आज जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया है।
अगर पृथ्वी के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाए तो मानव जीवन कैसे सुरक्षित एवं संरक्षित रहेगा? पृथ्वी है तो सारे तत्व हैं, इसलिये पृथ्वी अनमोल तत्व है। इसी पर आकाश है, जल, अग्नि, और हवा है। इन सबके मेल से प्रकृति की संरचना सुन्दर एवं जीवनमय होती है। आपको यह भी सोचना चाहिए कि इसी तरह संसाधनों की अकेले बर्बादी करते-करते हम आज इस कगार पर पहुंच गए हैं। तो अब सोचना छोड़िए प्रकृति के प्रति थोड़ा संवेदनशील हो जाइए।
आपको बताते हैं कि कैसे अपनी आदतों और अपने घर में ये छोटे-छोटे बदलाव करके पर्यावरण बचाने में आप बड़ा योगदान दे सकते हैं।
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पढ़िए पर्यावरण बचाने के आसान उपाय:
घर के आसपास सफाई रखें:
यदि गंदगी फैलाएंगे तो पृथ्वी की सतह कमजोर होने का खतरा बना रहेगा। इसीलिए सफाई का खास ध्यान रखें। अपने मौहल्ले से लेकर अपने कमरे तक को साफ-सुथरा रखें। ताकि आप भी स्वस्थ रहें और आपकी धरती भी।
पॉलिथीन का उपयोग न करें :
जलने के बाद भी हमारे वातावरण को हानि पहुंचाती है और न जलने पर सतह को, इसीलिए इसका प्रयोग करना बंद करें।
साल में एक बार अपने जन्मदिवस पर दो पौधे जरुर लगाएं:
धरती को बचाने, ऐसे ही संवार के रखने के लिए पेड़-पौधे लगाने जरूरी हैं। इसीलिए अपने घर से पौधे लगाने की शुरूआत करें। स्वच्छ हवा और वातावरण के लिए पेड़-पौधे लगाना जरूरी है।
पशु-पक्षी का रखें ध्यान :
हमारे पृथ्वी की खास बात यही है कि यहां जीवन है, और ये जीवन मात्र मानव प्रजाति तक सीमित नहीं। ये पशु-पक्षियों, जानवर सब को एक हक देता है।ये फूड-चेन का हिस्सा होने के चलते हमें बहुत बीमारियों और खतरों से बचाते हैं। आज-कल मोबाइल का उपयोग ज्यादा से ज्यादा होने लगा है, जिसके चलते पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा है।
सौर-उर्जा का करें प्रयोग :
बिजली बनाने के लिए पानी का उपयोग किया जाता है।अगर हम सौर ऊर्जा का प्रयोग करें तो पानी का उपयोग कम होगा जिससे कि पानी बना रखेगा और पृथ्वी भी हरी-भरी रहेगी।
कूड़ा न जलाएं :
आमतौर पर लोग गली-गली में कूड़े के ढेर को इक्कठा कर के जला देते हैं, जिससे हमारे वातावरण में वायु प्रदूषण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
कूड़ा न फैलाएं:
आप में से कितने ही लोगों ने समुद्र के तटों पर, स्मारकों और बाजारों वाली जगहों पर प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, खाने के पैकेटों आदि को देखा होगा। इस प्रकार के कूड़े साधारणत: सड़ते है और हमारे पर्यावरण को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचाते है। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि हम कूड़ा न फैलाएं। कचरे को कूड़ेदान में डालने की आदत को अपनाए। जब आपके आसपास एक भी कूड़े का कचरा दिखाई दे तब तक यह कार्य सफल नहीं होगा।
बारिश के पानी को बचाएं :
बारिश का पानी नालियों में बह जाता है और उसकी हम परवाह नहीं करते। अगर बारिश के पानी को बचायें तो वो हमारे काफी काम आ सकता है और गर्मियों में पानी की किल्लत से बचा सकता है।
रिसाइकल :
कोशिश करो कि इनमें से जो कचरा कबाड़ी वाले को बेचा जा सके वह उसे दे दो। वहाँ से पुराने आयटम रिसायकल सेंटर तक पहुँचते हैं और फिर इन्हीं चीजों से नई चीजें बनकर तुम तक पहुँच जाती हैं। कागज, काँच और धातु से बनी चीजें भी रिसायकल हो जाती हैं। याद रहे सब्जियों और खाने-पीने की चीजें जल्दी मिट्टी में मिल जाती हैं पर प्लास्टिक और धातु की चीजों को सालों साल लगते हैं।
रिड्यूस :
तापमान के बढ़ने की मुख्य वजह है फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं। हम उसे तो रोक नहीं सकते पर अपनी जरूरतों को थोड़ा बहुत बदल सकते हैं। अपने घरों में दिन के समय बत्तियाँ कम से कम जलाएं। यदि किसी कमरे में अंधेरा रहता है तो खिड़की खोल देने पर उस कमरे में रोशनी हो सकती है। घर के सारे बिजली से चलने वाले उपकरणों को घर से बाहर जाते हुए मेन स्विच से बंद करें। इस तरह बिजली के बिल में भी थोड़ी कटौती होगी और ज्यादा बिजली बनाने के लिए कोयला भी नहीं जलाना पड़ेगा। पृथ्वी का तापमान भी कुछ कम पड़ेगा। फ्रिज के पानी के बजाय मटके का ठंडा पानी ज्यादा बेहतर है। मटके के आसपास एक गीला कपड़ा लपेटकर रखोगे तो पानी के लिए फ्रिज बार-बार नहीं खोलना होगा और बिजली बचेगी।
रि-यूज:
प्लास्टिक की थैलियां शहरों में ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं, तो पुरानी कपड़े की थैली सामान लेने जाते समय उपयोग में लें। कपड़े की थैली बार-बार उपयोग में आती है। किसी भी पुरानी चीज को फेंकने के बजाय उसका दूसरा इस्तेमाल जरूर सोचें। किसी भी पुरानी वस्तु को री-साइकिल करके नई वस्तु बनाने में भी ऊर्जा की खपत होती है तो री-यूज ज्यादा बेहतर है। इन छोटी-छोटी बातों को अपनाकर हम वातावरण को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दे सकते हैं।
मोटर वाहनों का कम प्रयोग करें:
अगर बात पर्यावरण संरक्षण की हो, तो इसमें आमजन का प्रत्यक्ष रूप से महत्व है। जितना मोटर वाहनों का कम प्रयोग करें, जिससे पेट्रोलियम की खपत भी ना हो और ना ही पर्यावरण प्रदूषित हो। सीएनजी या विद्युत चालित वाहनों का प्रयोग ज्यादा किया जाए। अपने घर के आस-पास या नदियों में किसी प्रकार का कचरा ना डालकर किसी कचरा पात्र में डालें।
अन्य उपाय
- आरओ की जगह यीएफ या यूए वॉटर प्यूरिफायर घर ले आएं। आरओ पानी से जरूरी मिनरल हटा देता है और एक तिहाई पानी बर्बाद होता है।
- किचन के सामान के साथ बार-बार पेपर नैपकिन न खरीदें। इसके बदले कपड़े के रुमाल का प्रयोग करें।
- घर में सोलर वॉटर हीटर इंस्टाल करवा लें। बर्तन धोने के लिए इसी गर्म पानी का इस्तेमाल करें।
- यदि आपको कोई सामान कुछ समय के लिए ही चाहिए तो उसे खरीदने की बजाय दोस्तों से मांग लें। किताब, मूवी और कपड़े भी अगर आपको एक ही बार पहनने के लिए चाहिए, तो उन्हें दोस्तों से मांगना ही ठीक रहेगा।
- घर पर किसी सेलिब्रेशन के लिए डिस्पोजेबल प्लेट्स की जगह घर के बर्तन का या फिर पत्तलों का इस्तेमाल करें।
- बोतल के पानी का कम से कम इस्तेमाल करें। होटलों में यदि पानी साफ और फिल्टर्ड है तो वही इस्तेमाल करें। वह उस बोतल के पानी जैसा ही होगा जिसे हम शुद्ध समझकर पैसा खर्च करके खरीदते हैं।