बातचीत की कला निखारे व्यक्तित्व
अच्छी बातचीत करना भी एक कला है जो सभी को नहीं आती। गाड़ियों, बसों में रोजाना आने-जाने वाली लड़कियां जोर-जोर से चिल्लाकर अपनी बातचीत में मस्त रहती हैं। उन्हें केवल अपनी बातचीत का ही...
बच्चे के गुस्से को बढ़ने न दें
गुस्सा कभी भी किसी को भी किसी उम्र में आना आम बात है। बच्चे हों, बड़े या बूढ़े, गुस्सा हर आयु में नुकसान पहुंचाता है। अगर बच्चों को बचपन से उनके गुस्से पर काबू...
टर्म इंश्योरेंस: परिवार का रोटी, कपड़ा और मकान रहेगा हमेशा सुरक्षित
टर्म इंश्योरेंस: परिवार का रोटी, कपड़ा और मकान रहेगा हमेशा सुरक्षित Term Insurance: The bread, clothes and house of the family will always be safe
आज के समय में इंश्योरेंस घर-घर में गूंजने वाला नाम...
दुल्हन कैसे पाये ससुराल में प्यार
नव-विवाहित दुल्हन को प्यार और समुचित सुरक्षा देने का दायित्व पति का होता है, क्योंकि वह पति के लिए ही पूरे परिवार को छोड़कर आती है।
पत्नी का भी कर्तव्य होता है कि वह पति...
बच्चों को हार स्वीकारना भी सिखाएं
बच्चों का मन कोमल और भावुक होता है। उन्हें समझने की जरूरत है और माता पिता से बेहतर उन्हें कौन समझ सकता है। अपनी आकांक्षाओं को उन पर लादने के बजाय उनका मन टटोलें।...
बढ़ावा न दें बच्चों के शर्मीलेपन को
बच्चे तो चुलबुले, शरारती ही अच्छे लगते हैं पर कुछ बच्चे स्वभाव से शर्मीले होते हैं जो न तो ज्यादा दूसरे बच्चों में मिक्स होते हैं, न बड़ों से कुछ बात करते हैं और...
कैसे करें बच्चों से बातचीत?
कैसे करें बच्चों से बातचीत?
बातचीत करना भावनाओं की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। इसके जरिये अंतर्मन की इच्छाओं का पता चलता है। खासतौर पर जब बच्चे बातचीत करते हैं तो एक तरफ उनकी...
हैल्दी मैरिड लाइफ के सीक्रेट्स
आज की फास्ट लाइफ का प्रभाव जिंदगी और रिश्तों पर कुछ ऐसा पड़ा है कि पूरा माहौल ही बदल गया है। लोगों की सोच बदल गई है। सिंसियरिटी भी अब कम ही देखने को मिलती है। सब को अपनी ही पड़ी रहती है। ऐसे में क्या आश्चर्य कि शादी जैसा अहम रिश्ता भी अब स्वार्थ के आगे उतना अहम नहीं रह गया।
सिंगल मदर छोटे बच्चे की देखभाल कैसे करें
इत्यादि ऐसे किसी भी कारण से बच्चे को अकेले पालने की जिम्मेदारी मां पर आ सकती है। ऐसे में पहली दो स्थितियों में मां स्वयं मानसिक रूप से तनाव ग्रस्त होती है, उस पर मानसिक तनाव के साथ-साथ आर्थिक समस्या भी होती है कि अकेले छोटे बच्चे को कैसे पाल पोस कर संस्कारी बना सके।
सुखी रहे अन्नदाता
सम्पादकीय
सुखी रहे अन्नदाता
कृषि भारतीय अर्थ-व्यवस्था का मेरूदण्ड है। जहां एक ओर यह एक प्रमुख रोजगार प्रद्त क्षेत्र है, वहीं देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी इसका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
देश की 60...
लौट आये वो Sunday…!
लौट आये वो Sunday...!
एक दिन होता है जब लगभग पूरा परिवार साथ होता है,।।।उममम।।।
सच कहूं तो 'साथ' होता था। साप्ताहिक पर्व की तरह मनाया जाता था संडे। अब भी चाहें तो साथ मना सकते...
बेटों की भी होती है विदाई…
बेटों की भी होती है विदाई... : यह एक कटु सत्य है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज ही उसका आधार है। बिना समाज के रहने की तो आम आदमी सोच भी...
परिपक्वता जरूरी है सास बनने से पहले
परिपक्वता जरूरी है सास बनने से पहले Maturity is necessary before becoming a mother-in-law
जिंदगी में एक ऐसा समय भी आता है जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और मां-बाप अपने सामाजिक उत्तरदायित्व पूरे करने...
पति काम करें तो औरतें ही देती हैं ताना
पति काम करें तो औरतें ही देती हैं ताना
‘हमारा सतीश तो मानता ही नहीं है। रेखा के साथ बर्तन मंजवाता है। सब्जी कटवाता है। झाडू-पोंछा भी कर देता है। मैं तो उसे खूब टोकती...